1992 में एक महिला ने अपने भ्रूण को फ्रीज कराया था. फरवरी 2020 में उस भ्रूण को टीना नाम की महिला के गर्भ में ट्रांसप्लांट किया गया
ये चमत्कार विज्ञान (Science) की मदद से संभव हो सका है. मॉली दुनिया की पहली ऐसी भ्रूण (Embryo) है जिसे 27 साल तक फ्रीज कर के रखा गया और उसके बाद गर्भ में ट्रांसप्लांट किया गया है. इससे पहले ये रिकॉर्ड 24 साल था.
- News18Hindi
- Last Updated:
December 11, 2020, 1:11 PM IST
आप भी ये बात पढ़कर हैरान हो गए होंगे. देखा जाए तो ये हैरान होने वाली बात ही है और इसपर विश्वास मानना भी मुश्किल लगता है मगर ये सच है. आइए आपको बताते हैं कि पूरा मामला क्या है.
दरअसल ये पूरा मामला अमेरिका के टेनिसी का है. 1992 में एक महिला ने अपने भ्रूण को फ्रीज कराया था. फरवरी 2020 में उस भ्रूण को टीना नाम की महिला के गर्भ में ट्रांसप्लांट किया गया. टीना ने अक्टूबर महीने में बच्चे को जन्य दिया जिसका नाम मॉली है. टीना की पैदाईश अप्रैल 1991 की है वहीं मॉली के भ्रूण को अक्टूबर 1992 में फ्रीज कराया गया था.
27 पहले फ्रीज किया गया था भ्रूणये चमत्कार विज्ञान की मदद से संभव हो सका है. मॉली दुनिया की पहली ऐसी भ्रूण है जिसे 27 साल तक फ्रीज कर के रखा गया और उसके बाद गर्भ में ट्रांसप्लांट किया गया है. इससे पहले ये रिकॉर्ड 24 साल था. उस भ्रूण ने एमा नाम की बच्ची के रूप में नवंबर 2017 में जन्म लिया था. एमा, मॉली की ही बहन है. एमा को भी टीना के ही गर्भ में ट्रांसप्लांट किया गया था.
टीना और उनके पति बेंजामिन को 2017 में टीना के परिवार वालों से इस बात का पता चला कि फ्रीज किए हुए भ्रूण को कंसीव कर के भी वो बच्चे को जन्म दे सकते हैं. शुरुआत में टीना असहज थीं मगर बाद में वो इसके लिए तैयार हो गईं.
क्या होते हैं फ्रीज किए हुए भ्रूण?
गर्भ में फर्टिलाइजेशन के बाद से 8 वें हफ्ते तक के जीव को भ्रूण कहते हैं. भ्रूण को शरीर से निकाल कर फ्रीज कर दिया जाता है जिससे बाद में उसे किसी गर्भ में ट्रांसप्लांट किया जा सके. फ्रीज किए हुए भ्रूण को या तो प्रेग्नेंसी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, या फिर रिसर्च से जुड़े काम को अंजाम देने के लिए. भ्रूण को एक बंद कंटेनर में -321 डिग्री फारेनहाइट या -196 डिग्री सेल्सियस के ताप मान में फ्रीज किया जाता है. 1980 की शुरुआत से भ्रूण को फ्रीज करने का प्रोसेस शुरु हुआ है.